- बालोद एंथम (बालोद के माटी ) इस गीत का उद्देश्य : बालोद जिला को “पर्यटन, इतिहास एवं संस्कृति “ में वैश्विक पहचान दिलाना।
- गीत में शामिल हैं बालोद जिला के 4500 से 5000 साल पुराने शैल चित्र, रहस्यमयी गुफाएँ, और आदिवासी संस्कृति तथा ऐतिहासिक मंदिर की झलक।
गीत का उद्देश्य: क्यों है यह ज़रूरी?
बालोद जिला, जिसे “दुनिया तथा छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का जिला” कहा जा सकता है, पर्यटन के नक्शे पर अब तक उपेक्षित रहा है। यहाँ के 80% से अधिक पर्यटन स्थल 2000 से 5000 साल पुराने हैं, लेकिन इन्हें व्यापक प्रचार नहीं मिला। इसी कमी को दूर करने के लिए स्थानीय युवाओं ने डिजिटल मीडिया की ताकत को पहचाना और रैप संगीत के जरिए बालोद की कहानी को दुनिया तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया।
गीत में शामिल प्रमुख पर्यटन स्थल:
1. चितवा डोंगरी ( ग्राम – सहगाँव ) : आदिमानव की निशानियाँ

- 4500 साल पुराने शैल चित्र जो प्रागैतिहासिक मानव जीवन को दर्शाते हैं।
- गोंदली डैम का मनोरम दृश्य, जहाँ प्रकृति और इतिहास का अनूठा संगम दिखेगा।
2. कुकुर देव मंदिर ( ग्राम – खपरी, मलिघोरी ): कुत्ते की पूजा का रहस्य


- 1400 साल पुराने इस मंदिर में एक कुत्ते की मूर्ति की पूजा होती है। स्थानीय मान्यता: यह मंदिर विश्व में होने वाले कुत्तो की पूजा वाला सबसे पहला मंदिर है यहाँ की कहानी आनोखी है |
3. भोला पठार: ( ग्राम – पर्रेगुड़ा ) भगवान राम की तपस्या स्थली

- पौराणिक मान्यता: यहाँ भगवान राम ने तपस्या की थी और शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए।
- 360-डिग्री व्यू: पहाड़ की चोटी से बालोद के जंगलों का अद्भुत नज़ारा।
4. दल्ली राजहरा: आयरन माइन

- भिलाई स्टील प्लांट को लोहा सप्लाई करने वाला यह खनन क्षेत्र, औद्योगिक इतिहास का जीवंत उदाहरण।
5. झलमला गंगा मैया मंदिर:


- 1000 साल से भी पहले से संजारी बिदरी नामक प्रथा यहाँ मनाया जाता था यहाँ बहुत पहले माता गंगा मैया की मूर्ति एक तालाब से प्राप्त हुई थी तब से आज तक माँ गंगा मैया की मूर्ति की पूजा की जा रही है यहाँ माँ गंगा मैया का भव्य मंदिर स्थापित है |
- 6. माली पानी: ( ग्राम – पचेड़ा ) चर्म रोगों का प्राकृतिक इलाज
-
माली पानी: ( ग्राम – पचेड़ा ) माली पानी: ( ग्राम – पचेड़ा )
- जंगलों के बीच स्थित इस जलस्रोत के बारे में कहा जाता है: “की यहाँ साधुवो ने तपस्या की थी और यहाँ के कुंड का पानी बहुत प्रकार के चर्म रोग को दूर करता है ” प्राक्रतिक सुंदरता से भरा हुआ नजारा है यहाँ का परिवार के साथ पिकनिक में जाने योग्य बहुत अच्छा जगह है |
7. कमरौद की माँ काली की मूर्ति:( ग्राम- कमरौद ) छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी माँ काली की विशाल प्रतिमा


- 20 फीट ऊँची मूर्ति, जो आस्था और कला का बेजोड़ नमूना है।
- भूमिफोड़ बजरंगबली का मंदिर: कमरौद गांव में स्थापित है 400 साल पुरानी प्रतिमा यहाँ स्थापित है |
8. ओनाकोना – गंगरेल जलाशय का प्राकृतिक सौंदर्य एवं शिव जी का विशाल मंदिर ( ग्राम- ओनाकोना )

- नोका विहार की सुइधा उपलब्ध है |
9. ( ग्राम – देवपांडूम ) – आदिमानव के जमाने का बालोद जिले की सबसे बडी प्राचीन गुफा एवं खजाना का रहस्य |

- 20 फिट से भी अधिक लंबी गुफा एवं इस गुफा के 2 दरवाजे है |
- अंग्रेजो के ज़माने का खजाना यहाँ छिपा हुआ है गाँव वाले मानते है की यहाँ गोडवाना राजाओं ने अंग्रेजो के आक्रमण के डर से यहाँ खजाना छिपाया हुआ है | खजाना जहाँ छिपा हुआ है उस जगह को देखा जा सकता है लेकिन खजाना को खोजने वाले की मृत्यु हो जाती है ऐसा गाँव वालो के द्वारा देखा गया है |
10. दल्ली राजहरा का भीष्म रथ एशिया का सबसे बड़ा लोहे से बना रथ |

- महाभारत की लड़ाई को दर्शाता जिसकी ऊंचाई 43 फीट है।
11.( ग्राम – महामाया ) प्राचीन ज़माने के राजाओ द्वारा स्थापित माँ महामाया का प्राचीन मंदिर |

- इस गाँव का नाम भी माँ महामाया के नाम पर रखा गया है |
- प्राकृतिक जल का स्त्रोत एवं त्रिवेणी संगम |
- कच्चे लोहे की पहाड़ियां |
12. ( ग्राम – कोकान ) – कोकान घाटी

- दल्ली राजहरा के करीब घुमने लायक सबसे सुन्दर जगह झरना तथा प्राकृति का अद्भुत नजारा |
13.( ग्राम – कोटागाँव ) किल्लेवाली माता का मंदिर


- गोडवाना राजाओ द्वारा पहाड़ पर बनाया गया किला, जिसमे स्थापित माँ किल्ले वाली माता का मंदिर |
- बालोद जिला का सबसे ऊँचा पहाड़ |
14. ( ग्राम – नर्राटोला ) प्राचीन मूर्तियों का सग्रंह

- बालोद जिला में जंगलो के बीच रखा हुआ मूर्तियों का संग्रह, मूर्तियाँ कहाँ से आया ,कैसे आया किसी को कुछ सही से पता नहीं है खोज की आवश्यकता है |
15. ( ग्राम – चिरचारी, सोरर ) माँ बहादुर कलारिन की माची

- कलचुरी शासन के समय की गाथा |
- कलार समाज का देव स्थल |
16. ( ग्राम – करकाभाट ) – महापाषाण कालीन स्मारक स्थल

- दुनियां का सबसे बड़े क्षेत्र में फैला हुआ आदिमानव द्वारा आदिमानव के लिए बनाया गया सबसे बड़ा कब्रगाह 20 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है जहाँ आदिमानव अपने लोगो को दफनाया करते थे और उनके कब्र के ऊपर बहुत बड़े बड़े पत्थरो को रखा जाता था ताकि आने वाली पीढ़ी उन पत्थरो को देख कर उनको याद कर सके |
- पहली बार जब यहाँ खुदाई हुई थी तब 32 सोने के सिक्के कब्रों से प्राप्त हुए थे यहाँ से प्राप्त सोने के सिक्को को गुरु घासीदास संग्रहालय रायपुर में रखा गया है |
17. ( ग्राम – नारागाँव ) – सियादेवी मंदिर


- रामायण काल से जुड़ा दर्शनिक स्थल ऐसा माना जाता है की रामायण काल में वनवास के दौरान माँ सीता ने श्री राम जी की परीक्षा इस स्थल पर लिया था |
- यहाँ सुन्दर एक झरना और एक छोटा सा गुफा एवं माँ सिया देवी का विशाल मंदिर है
क्या है बालोद एंथम की खासियत?
- छत्तीसगढ़ी रैप और लोक संगीत का फ्यूजन: गीत में पारंपरिक ढोल और मांदर की थाप के साथ आधुनिक बीट्स का समन्वय।
- ड्रोन शॉट्स और सिनेमैटिक वीडियोग्राफी: गुफाओं, पहाड़ों, और झरनों को हॉलीवुड स्टाइल में दिखाया गया है।
- युवाओं की आवाज़: गीत के बोल स्थानीय बोली छत्तीसगढ़ी में हैं, जो बालोद के गौरव और संघर्ष को बयां करते हैं।
बालोद एंथम गीत को इन युवाओ के द्वारा बनाया :
- सूरज करियारे : (दल्ली राजहरा ) बालोद इको टूरिज्म के संस्थापक एवं बालोद इको टूरिज्म के अध्यक्ष बालोद एंथम को बनाने में इनका बहुत बड़ा सहयोग रहा है इस गाने को सूरज करियारे जी ने अपना पूरा मार्ग दर्शन दिया है इन्होने बालोद जिला को पर्यटन के क्षेत्र में आगे लेजाने के लिए ग्रामीणों एवं पर्यटकों तथा पर्यटन स्थलों को एक साथ जोड़ा जिससे पर्यटन स्थलों में घुमने आए पर्यटकों से बालोद जिला के ग्रामीणों को आर्थिक फायदा हो सके तथा बालोद जिला घुमने आए हुए पर्यटकों को कैम्पिंग तथा ट्रैकिंग, स्थानीय गाइड एवं बालोद जिला का स्थानीय भोजन उपलब्ध कराने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है | गाँव वालो को सिखाया की पर्यटकों से कैसे बात करना है उन्हें कहाँ कहाँ घुमाना है और बालोद जिला में पर्यटन के बढ़ने से बालोद जिला के ग्रामीणों को क्या फयदा होगा बालोद जिला के सारे पर्यटक स्थलों को सरकार के साथ विकसित करने में सबसे बड़ा सहयोग सूरज करियारे जी का रहा है |
सूरज करियारे संस्थापक बालोद इको टूरिज्म - सीजी बॉय रेमो : (डौंडी): छत्तीसगढ़ी रैप के अग्रदूत, जिन्होंने गीत को लिखा एवं आर्थिक सहयोग दिया है और अपनी आवाज भी दी है |
सीजी बॉय रेमो - राजा टेकाम : (महामाया): “दर्द भरे रैप” के लिए मशहूर, जिन्होंने गीत में गाँव की कहानियों को जगह दी।
राजा टेकाम - सेज एम.सी : (कोटागाँव ): इन्हें छत्तीसगढ़ के “डिवाईन” के नाम से जाना जाता है | इन्होने अपनी आवाज एवं अपनी प्रतिभा को इस गाने में दर्शाया है |
सेज.एम.सी - मौडल हनी : ( गोटुलमुंडा, चोरहा पड़ाव ) बालोद जिला के उभरते हुए युवा रैपर जिनका यह पहला गाना है इससे पहले इन्होने एल्बम में अपनी आवाज दी है लेकिन बालोद एंथम में इस बार ये खुद नजर आयेंगे |
-
मौडल हनी - के.के वीडियोस: (बालोद) बालोद जिला के सबसे अच्छे 4K कैमरा और ड्रोन से विडियो बनाने वाले बालोद जिला में सबसे लोक प्रिय |
के.के वीडियोस ( किशन ) - आर.जे.एन म्यूजिक : राजनांदगाँव के बहुत ही प्रचलित म्यूजिक एवं विडियो एडिटर |
आर.जे.एन म्यूजिक ( राहुल )
पर्यटन का भविष्य: क्या बदलाव आएगा?
- रोज़गार के नए अवसर: होमस्टे, गाइड सर्विस, और स्थानीय हस्तशिल्प बाज़ार को मिलेगा बढ़ावा।
- युवाओं का सशक्तिकरण: संगीत और कंटेंट क्रिएशन के ज़रिए आत्मनिर्भरता की राह।
- छत्तीसगढ़ की पहचान: बालोद देश के “हिडन हेरिटेज डेस्टिनेशन” की लिस्ट में शामिल होगा।
कैसे करें सहयोग?
- वीडियो को शेयर करें: YouTube और Instagram पर #BalodAnthem के साथ।
- बालोद घूमें: पर्यटन स्थलों की यात्रा कर स्थानीय अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करें।
- स्थानीय कलाकारों को फॉलो करें: उनके सोशल मीडिया हैंडल्स को प्रमोट करें।
समाचार का महत्व:
यह पहल साबित करती है कि “युवा शक्ति” देश के गुमनाम इतिहास को जीवित कर सकती है। बालोद एंथम न सिर्फ़ एक गीत है, बल्कि संस्कृति, इतिहास और आधुनिकता का संगम है, जो छत्तीसगढ़ को नई पहचान देगा।
कब देखने को मिलेगा बालोद एंथम गीत:
बालोद एंथम (बालोद के माटी ) की शूटिंग पूरी हो गई है बहुत जल्द CG BOY REMO के YouTube चैनल जिसका लिंक नीचे दिया गया है बहुत जल्द देखने को मिलने वाला है https://www.youtube.com/@cgboyremo3965